विषय पाठ्यक्रम:- आज का टॉपिक !
कंप्यूटर विकास का वर्गीकरण,
हार्डवेयर प्रयोग के आधार पर (प्रथम पीढ़ी, द्वितीय पीढ़ी, तृतीय पीढ़ी, चतुर्थ पीढ़ी, पंचम पीढ़ी),
आकार और कार्य के आधार पर (मेनफ्रेम, मिनी, माइक्रो (डेस्कटॉप, लेपटॉप, पामटॉप, नोटबुक, टेबलेट), सुपर कंप्यूटर),
कार्य पद्धति के आधार पर (एनालॉग, डिजिटल, हाईब्रिड कंप्यूटर) |
1- कंप्यूटर के विकास का वर्गीकरण:-
हार्डवेयर प्रयोग के आधार पर:-
हार्डवेयर प्रयोग के आधार पर कंप्यूटर को पांच पीढीयों में विभाजित किया गया है जोकि निम्न प्रकार से है |
1- प्रथम पीढ़ी :-
प्रथम पीढ़ी की शुरुआत सन् 1940-1956 के बीच में हुई | इस पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया था | इसमें स्टोरेज के लिए मैगनेटिक ड्रम का यूज़ किया जाता था |
इन कंप्यूटरों की स्पीड 333 माइक्रो सेकंड थी | इसमें बैच ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया गया | इनकी स्टोरेज क्षमता सीमित थी और ये धीमी गति से इनपुट व आउटपुट करते थे |
इनकी भाषा मशीनी (बाइनरी नंबर 0's और 1's) थी | इनका उपयोग मुख्यतया वैज्ञानिक स्तर पर तथा बाद में सामान्य व्यापार सिस्टम में किया जाता था |
2- द्वितीय पीढ़ी:-
द्वितीय पीढ़ी की शुरुआत सन् 1956-1963 के बीच में हुई | इस पीढ़ी में ट्रांजिस्टर टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया | इसमें स्टोरेज के लिये मैगनेटिक कोर टेक्नोलॉजी का प्रयोग होता था |
इनकी स्पीड 10 माइक्रो सेकंड थी | इनमे मल्टी बैग रिमेनिंग, व टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग होता था | इनकी मुख्य विशेषता इनका आकार और ताप पहले से कम था व ये तीव्र और विश्वसनीय थे |
इनमे असेम्बली भाषा हाई लेवल का प्रयोग किया जाता था | इनका प्रयोग इंजीनियरिंग डिज़ाइन व इन्वेंटरी फाइल अपडेशन के लिए किया जाता था |
3- तृतीय पीढ़ी:-
तृतीय पीढ़ी की शुरुआत सन् 1964-1971 के बीच में हुई | इस पीढ़ी में इंटीग्रेटेड सर्किट (I.C.) का प्रयोग किया गया | इसमें मैगनेटिक कोर स्टोरेज डिवाइस थी | इनकी गति 100 नैनो सेकंड थी |
इनमे वास्तविक समय/टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग होता था | इनकी विशेषता चुम्बकीय कोर और सॉलिड स्टेट मुख्य स्टोरेज के रूप में प्रयोग व रिमोट प्रोसेसिंग और इनपुट-आउटपुट को नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर उपलब्ध थे |
इनमे फोरट्रान, कोबोल आदि भाषा का उपयोग किया गया था | इनका उपयोग डाटा मैनेजमेंट, ऑनलाइन सिस्टम के लिए किया जाता था |
4- चतुर्थ पीढ़ी:-
चतुर्थ पीढ़ी की शुरुआत सन् 1971-2000 के मध्य हुई | इस पीढ़ी में बड़े पैमाने पर इंटीग्रेटेड सर्किट/माइक्रो प्रोसेसर टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया |
इसमें स्टोरेज के लिए सेमीकंडक्टर मेमोरी विंचेस्टर डिस्क का प्रयोग किया जाने लगा | इनकी गति 300 नैनो सेकंड थी | इनमे टाइम शेयरिंग नेटवर्क्स ऑपरेटिंग सिस्टम का यूज़ किया जाने लगा |
इनकी मुख्य विशेषता मिनी कंप्यूटर के उपयोग में वृद्धि व भिन्न-भिन्न हार्डवेयर निर्माताओं के यंत्रों के बीच एक अनुकूलता, जिससे उपभोक्ता किसी एक विक्रेता से बंधा न रहे | इनमे हाई लेवल भाषा का उपयोग किया गया |
5- पंचम पीढ़ी:-
पंचम पीढ़ी की शुरुआत सन् 2000 से होती है जोकि अब तक है | इस पीढ़ी अधिकतर इंटीग्रेटेड और माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जा रहा है | इनमे ऑप्टिकल डिस्क का प्रयोग किया जाता है |
इनमे नॉलेज इन्फोर्मेशन प्रोसेसिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसकी मुख्य विशेषता है | इनका उपयोग इन्फोर्मेशन मैनेजमेंट नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है |
आकार और कार्य के आधार पर:-
आकार और कार्य के आधार पर कंप्यूटर को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है |
1- मेनफ्रेम कंप्यूटर:-
ये आकार में काफी बड़े होते है, तथा इसमें माइक्रो प्रोसेसर की संख्या भी अधिक होती है | इसके कार्य करने और संग्रहण की क्षमता अत्यंत अधिक तथा गति अत्यंत तीव्र होती है |
ये सामान्यतः 32 या 64 माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग करते है | इस पर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते है | इनका प्रयोग बड़ी कम्पनियाँ, बैंक, रक्षा अनुसन्धान, अन्तरिक्ष आदि के क्षेत्रों में किया जाता है |
2- मिनी कंप्यूटर:-
ये आकार में मेनफ्रेम कंप्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कंप्यूटर से बड़े होते है इसका आविष्कार 1965 ई० में डिजिटल इक्युप्मेंट कॉर्पोरेशन (DEC) नामक कम्पनी ने किया था |
इनकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है | इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते थे | इनका प्रयोग यात्री आरक्षण, बड़े ऑफिस, कम्पनी, अनुसन्धान आदि में किया जाता है |
3- माइक्रो कंप्यूटर:-
माइक्रो कंप्यूटर का विकास 1970 ई० से प्रारम्भ हुआ जब CPU में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाने लगा | इसका विकास सर्वप्रथम IBM कंपनी ने किया |
इसमें 8, 16, 32 या 64 बिट के माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है | इसमें वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (VLSI) और अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (ULSI) से माइक्रो प्रोसेसर के आकार में कमी आई लेकिन इसकी कार्य क्षमता कई गुना बढ़ गयी है |
मल्टीमीडिया और इन्टरनेट के विकास ने माइक्रो कंप्यूटर की उपयोगिता को प्रत्येक क्षेत्र में पहुँचा दिया है | इसका प्रयोग घर, ऑफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन व चिकित्सा आदि अनगिनत क्षेत्रों में हो रहा है | इन कंप्यूटरों को P.C. भी कहा जाता है | माइक्रो कंप्यूटर कई प्रकार के होते है -
(A) डेस्कटॉप कंप्यूटर:-
डेस्कटॉप कंप्यूटर वे कंप्यूटर होते है जिनको टेबल पर रखकर चलाया जाता है, यह साइज़ में थोड़े बड़े होते है इसमें सी०पी०यू०, मॉनिटर, की-बोर्ड, माउस आदि होते है |
(B) लैपटॉप कंप्यूटर:-
लैपटॉप कंप्यूटर वे होते है जिनको गोद में रखकर चलाया जाता है | यह साइज़ में छोटे होते है | पर डेस्कटॉप कंप्यूटर से मंहगें होते है | इसमें सी०पी०यू०, की-बोर्ड, माउस एक साथ होते है | इसमें पॉवर के लिए बैटरी का प्रयोग होता है |
(C) पामटॉप कंप्यूटर:-
यह कंप्यूटर लैपटॉप कंप्यूटर से छोटे होते है, जिनको हथेली पर रखकर चलाया जाता है | इसमें भी सी०पी०यू०, की-बोर्ड, माउस एक साथ होते है | इसमें भी पॉवर के लिए बैटरी का प्रयोग होता है | लेकिन इनकी कार्य करने की क्षमता लैपटॉप से कम होती है |
(D) नोटबुक कंप्यूटर:-
नोटबुक कंप्यूटर लैपटॉप के समान होते है | इनको गोदी में रखकर चलाया जाता है | इनमे भी सी०पी०यू०, की-बोर्ड, माउस एक साथ लगे होते है | इनमे भी बैटरी का उपयोग किया जाता है |
(E) टेबलेट कंप्यूटर:-
यह कंप्यूटर बहुत ही छोटे कंप्यूटर होते है | यह मोबाइल से थोड़े बड़े होते है इनमे टचस्क्रीन होती है |
4- सुपर कंप्यूटर:-
यह अब तक का सबसे अधिक शक्तिशाली और महँगा कंप्यूटर है | इसमें कई प्रोसेसर समानांतर क्रम में लगे रहते है | इस तरह इसमें मल्टी प्रोसेसिंग और समानांतर प्रोसेसिंग का उपयोग किया जाता है |
समानांतर प्रोसेसिंग में किसी कार्य को अलग-अलग टुकड़ों में तोड़कर उसे अलग-अलग प्रोसेसर द्वारा सम्पन्न कराया जाता है | इस पर कई व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते है | विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर "क्रे रिसर्च कंपनी" द्वारा 1976 ई० में Cray-1 बनाया गया था |
इसका प्रयोग पेट्रोलियम उद्योग में तेल की खानों का पता लगाने, अन्तरिक्ष अनुसन्धान, मौसम, विज्ञान, भूगर्भीय सर्वेक्षण, स्वचालित वाहनों, के डिज़ाइन तैयार करने, कंप्यूटर पर परमाणु भट्टियों के सबक्रिटिकल परीक्षण आदि में किया जाता है |
भारत में परम सीरीज के सुपर कंप्यूटर "PARAM - 10000" का निर्माण पुणे (महाराष्ट्र) स्थित "सेण्टर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC)" द्वारा 1998 ई० में किया गया |
इसकी गणना क्षमता 100 गीगा फ्लॉप यानि 1 खरब गणना प्रति सेकंड थी | इस तरह के सुपर कंप्यूटर विश्व के कुल पाँच देशों-अमेरिका, जापान, चीन, इजरायल और भारत के पास ही उपलब्ध है |
"ANUPAM" सीरीज के सुपर कंप्यूटर का विकास "भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र (BARC)" द्वारा, जबकि "PACE" सीरीज के सुपर कंप्यूटर का विकास "रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO)" द्वारा किया गया |
कार्य पद्धति के आधार पर:-
कार्य पद्धति के आधार पर कंप्यूटर तीन प्रकार के होते है |
1- एनालॉग कंप्यूटर:-
एनालॉग कंप्यूटर वे कंप्यूटर होते है, जो भौतिक मात्राओं को नापने का कार्य करते है जैसे:- ताप, दाब, लम्बाई, चौड़ाई, आदि माप कर उनके परिणाम अंको में व्यक्त करते है |
यह कंप्यूटर दो परिमापों के बीच तुलना भी कर सकते है | एनालॉग कंप्यूटर का प्रयोग विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में किया जाता है | ये कंप्यूटर एनालॉग सिंगनल पर कार्य करते है |
2- डिजिटल कंप्यूटर:-
यह कंप्यूटर कैलकुलेशन एंड लॉजिकल ऑपरेशन करते है | डिजिटल कंप्यूटर डाटा एवं प्रोग्राम को 0.1 में परिवर्तित करके उनको इलेक्ट्रॉनिक रूप में लेता है | यह कंप्यूटर डिजिटल सिंगनल पर कार्य करते है, अधिकांशतः कंप्यूटर डिजिटल कंप्यूटर ही होते है |
3- हाइब्रिड कंप्यूटर:-
ये कंप्यूटर जो एनालॉग व डिजिटल कंप्यूटर दोनों का कार्य करते है | हाइब्रिड कंप्यूटर कहलाते है | उदाहरण - पेट्रोल पम्प या वाहनों के मीटर आदि उसके मूल्य व स्पीड की गणना करते है |