Computer Basic Part 3 (ADCA - Basic Introduction)

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विषय पाठ्यक्रम:- आज का टॉपिक !

प्रोसेसर स्पीड, कैश मेमोरी (L1, L2, L3),

मेमोरी (प्राइमरी मेमोरी, सेकंडरी मेमोरी),

RAM (SRAM, DRAM (SDRAM, DDR2 SDRAM, DDR3 SDRAM)),

ROM (PROM, EPROM, EEPROM), Booting |

Processor Speed:-

माइक्रोप्रोसेसर कंप्यूटर सिस्टम का मुख्य भाग होता है जो सिस्टम में किसी यूजर द्वारा दिए गए डाटा या इंस्ट्रक्शन को बतौर इनपुट प्रोसेस करता है ताकि एक नियत आउटपुट पाया जा सके |

किसी भी कंप्यूटर सिस्टम का परफोर्मेंस उसके प्रोसेसर पर अत्यधिक निर्भर करता है जो किसी यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को सेकंड्स में प्रोसेस कर सकता है जो किसी मानव द्वारा घंटों बाद भी शायद हो पाए |

यह एक सेकंड में एक मिलियन से भी ज्यादा निर्देशों को प्रोसेस कर सकता है जिसे मिप्स (MIPS) में गिनते हैं | प्रोसेसर की स्पीड प्रोसेसर द्वारा एक्सीक्यूट किये गए बिट्स पर निर्भर करती है |

जैसे:- 8- बिट प्रोसेसर, 16- बिट प्रोसेसर, 32- बिट प्रोसेसर और 64- बिट प्रोसेसर इत्यादि | यह आप पर निर्भर करता है की आप कौन सा बिट प्रोसेसर इस्तेमाल करते है |

👉The 8-bit processor executes 8 bits at a time in the form binary number system like (10010111)₂.

👉 The 16-bit processor executes 16 bits at a time in the form binary number system. This kind of processor is faster then 8-bit processor and used much at its time.

👉 The 32-bit processor executes 32 bits at a time means twice faster then 16-bit processor. It is used mostly in all the personal computers now-a-days, is much sufficient at speed.

👉 64-bit processor executes 64 bits at a time, is used at servers or mini computers to handle or process bulk data.

Cache:-

कैश मेमोरी सिस्टम में पहले से निर्धारित स्टैटिक रैम का हिस्सा होता है जो मेन मेमोरी और प्रोसेसर के बीच की कड़ी होती है |

यह मेमोरी आपके सिस्टम के कार्य गति को बढ़ा देती है यह मेन मेमोरी की तुलना में तेज कार्य करती है | कैश मेमोरी से किसी प्रोग्राम को एक्सेस करने के लिए ज्यादा से ज्यादा 15 से 25 नैनो सेकंड्स लगते है |

जबकि मेन मेमोरी में यही 25 या इससे भी अधिक नैनो सेकंड्स लग जाते है | कैश मेमोरी में वही डाटा या निर्देश स्टोर होते है जिन्हें तुरंत एक्सीक्यूट होना होता है |

कैश मेमोरी के कई लेवल होते है, जैसे:- L1, L2 एवं L3 इत्यादि |

Levels of Cache Memory:-

L1 Cache:-

यह कैश लेवल पहले से ही प्रोसेसर कोर में होता है | यह स्टैटिक रैम का हिस्सा होता है जो अधिकतम 128 kilobytes तक डाटा स्टोर करता है जो सीमित क्लॉक फ्रीक्वेंसी पर ऑपरेशन करता है |

L2 Cache:-

यह कैश लेवल L1 से बड़ा होता है जो अधिकतम 1024 kilobytes तक डेटा स्टोर करता है जिससे रैम के ज्यादा डाटा को एक साथ एक्सेस किया जा सकता है जो प्रोसेसिंग गति को बढ़ा देता है |

L3 Cache:-

यह कैश लेवल L1, L2 के साथ मिलकर कंप्यूटर के परफोर्मेंस को और अधिक बढ़ा देता है | यह अन्य कैश से भिन्न होती है जैसे हार्ड डिस्क कैश, CPU कैश इत्यादि |

Memory:-

कंप्यूटर की मेमोरी ही कंप्यूटर एवं कैलकुलेटर में अंतर बताती है | कंप्यूटर में डाटा मेमोरी के अन्दर स्टोर होता है | फिजिकल मेमोरी जोकि चिप, ड्राइव/डिस्क होती है जिसमें डाटा होल्ड होता है |

वर्चुअल मेमोरी जोकि सिर्फ फिजिकल मेमोरी को एक्सपेंड करता है | कंप्यूटर मेमोरी दो तरह की होती है एक प्राइमरी मेमोरी जोकि कंप्यूटर के अन्दर मेन मेमोरी कहलाती है और दूसरी सेकंड्री मेमोरी जैसे:- हार्ड डिस्क, ऑप्टिकल डिस्क, फ्लॉपी डिस्क इत्यादि |

Primary Memory:-

प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर सिस्टम की मेन मेमोरी होती है जो सिस्टम के प्राथमिक कार्य के लिए मेमोरी उपलब्ध कराती है | जैसे:- RAM और ROM |

Secondary Memory:-

सेकेंडरी मेमोरी जो की डाटा को स्टोर करने के लिए होती है जिसमे डाटा को स्टोर करते है और बाद में उस सुरक्षित डाटा का उपयोग कर सकते है | जैसे:- हार्ड डिस्क ड्राइव, मैग्नेटिक टेप, ज़िप ड्राइव आदि |

RAM (Random Access Memory):-

रैंडम एक्सेस मेमोरी यह एक प्रकार की राइट मेमोरी होती है, इसमें डाटा टेम्परेरी (वोलाटाइल) स्टोर होता है जोकि पॉवर सप्लाई कटते ही मिट जाता है |

डाटा रैंडमली एक्सेस किया जाता है और सी० पी० यू० से सीधे एक्सेस किया जा सकता है | रैम दो प्रकार की होती है |

1- SRAM (Static Random Access Memory):-

SRAM प्रायः इस्तेमाल होने वाले DRAM की तुलना में ज्यादा तेज होता है | यह स्टैटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी होती है | इसकी स्पीड डीरैम से अधिक होती है |

कंप्यूटर में सामान्यतः यह कैश मेमोरी के रूप में लगी होती है | यहाँ Static तथ्य का मतलब इस बात से है की इसे DRAM की तुलना में बार - बार रिफ्रेश करने की जरुरत नहीं पड़ती |

SRAM प्रायः मेमोरी कैश (Cache) की तरह उपयोग होता है जो CPU में बतौर L1, L2 और L3 Cache के रूप में पाई जाती है |

2- DRAM (Dynamic Random Access Memory):-

DRAM एक तरह की RAM का प्रकार होता है जो आजकल पर्सनल कंप्यूटर में ज्यादा इस्तेमाल होता है | इसके कुछ प्रकार निम्नलिखित है | यह डायनमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी होती है | यह एक सामान्य अन्तराल के बाद रिफ्रेश होती रहती है |

👉 SDRAM (Synchronous Dynamic Random Access Memory):-

यह एक सिंक्रोनस डायनमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी होती है | यह एक नए तरह का डायनमिक RAM होती है जो तुलनात्मक बहुत तेज कार्य करती है | SDRAM वास्तव में CPU के साथ सिंक्रोनाइज हो जाता है |

👉 DDR2-SDRAM (Double Data Rate 2 Synchronous Dynamic Random Access Memory):-

डबल डाटा रेट 2 सिंक्रोनस डायनमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी भी एक प्रकार की DRAM का प्रकार होता है जो SDRAM की तुलना में ज्यादा तेज कार्य करती है |

👉 DDR3-SDRAM (Double Data Rate 3 Synchronous Dynamic Random Access Memory):-

डबल डाटा रेट 3 सिंक्रोनस डायनमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी DRAM का बिल्कुल नया प्रकार है जो अन्य DRAM की तुलना में सबसे तेज कार्य करता है |

ROM (Read Only Memory):-

रीड ओनली मेमोरी वह मेमोरी या चिप है जो कंप्यूटर में कुछ सॉफ्टवेयर डाटा चिप के रूप में स्टोर रहता है, जिसके डाटा को सिर्फ यूजर पढ़ सकता है लेकिन इसमें कोई भी बदलाव नहीं कर सकता है इसलिए इसे रीड ओनली मेमोरी कहा जाता है |

मॉस्क रीड ओनली मेमोरी में निर्माता अपने बारे में लिखता है जैसे डेल के कंप्यूटर में ऑन करने पर डेल का लोगो तथा अन्य कंपनी सम्बन्धी जानकारी MROM में स्टोर रहती है | ROM के अन्य प्रकार है | PROM, EPROM, EEPROM आदि BIOS (Basic Input Output System) भी ROM होता है |

👉 PROM (Programmable Read Only Memory):-

यह ROM का एक प्रकार होता है जिसमे ROM BIOS से सम्बंधित सूचना को केवल एक बार ही प्रोग्राम किया जाता है जिसमे आगे कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है |

👉 EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory):-

यह एक विशेष प्रकार का PROM होता है जिसे पराबैगनी किरण की मदद से मिटाया जा सकता है | जब इसके प्रोग्राम को एक बार इरेज कर दिया जाता है तो फिर इसे पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है |

👉 EEPROM (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory):-

यह भी PROM का ही एक प्रकार होता है जिसे इलेक्ट्रिसिटी (बिजली) की मदद से इरेज किया जा सकता है और पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है |

अन्य PROM की तुलना में EEPROM में डाटा सिस्टम बंद होने की स्थिति में भी डाटा को सुरक्षित रखता है | RAM की तुलना में ये उतना तेज नहीं होता पर यह फ़्लैश मेमोरी की तरह होता है |

Booting:-

बूटिंग किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के स्टार्टिंग प्रोसेस को कहते है | यह एक घटना है जो यह बतलाता है की अब कंप्यूटर स्टार्ट (आरम्भ) हो रहा है |

प्रायः बूटिंग दो तरह के होते है पहला कोल्ड बूटिंग और दूसरा वार्म बूटिंग, कोल्ड बूटिंग में किसी कंप्यूटर सिस्टम को पॉवर बटन द्वारा आरम्भ किया जाता है जबकि वार्म बूटिंग में कंप्यूटर को चलती हालत में रिसेट बटन द्वारा रिस्टार्ट किया जाता है तो इस स्टार्टअप को वार्म बूटिंग कहते है |

जब आप पॉवर बटन को प्रेस करते है तब यह आपकी जरुरी फाइल और रिसोर्स को मेन मेमोरी में लोड करने लगता है और जब यह प्रोसेस ख़त्म होता है तब आप अपने कंप्यूटर को इस्तेमाल कर सकते है |

बूटिंग प्रोसेस के दौरान BIOS की फाइल को ROM से मेन मेमोरी RAM में लोड किया जाता है जिसके बाद आप कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकते है और जब आप कंप्यूटर को शट डाउन करते है |

तब सिस्टम सम्बन्धी सभी फाइल मेन मेमोरी RAM से स्वतः ही मिट जाती है जबकि ROM पर लिखी सूचनाएं पॉवर ऑफ होने की स्थिति में भी यथावत बनी रहती है |

बूटिंग के दौरान BIOS एक POST टेस्टिंग करता है जो यह निर्धारित करता है की जरुरी फाइल, रिसोर्स एवं डिवाइस सही जुड़े है एवं कार्य कर रहे है की नहीं |

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