Computer Basic Part 5 (ADCA - Basic Introduction)

विषय पाठ्यक्रम:- आज का टॉपिक !

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में सम्बन्ध,

सिस्टम सॉफ्टवेयर (ऑपरेटिंग सिस्टम, यूटिलिटी सॉफ्टवेयर),

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, कम्पाइलर, इन्टरप्रेटर,

असेम्बलर, हाई लेवल लैंग्वेज,

डिस्क पार्टीशन मैनेजिंग, फाइल सिस्टम (FAT, NTFS),

मल्टीमीडिया क्या है (टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनीमेशन, ऑडियो, इमेज, वीडियो),

शिक्षा के क्षेत्र में मल्टीमीडिया, मनोरंजन के क्षेत्र में मल्टीमीडिया, मार्केटिंग के क्षेत्र में मल्टीमीडिया |

Computer Software:-

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम मानकों के साथ-साथ व्युत्पन्न प्रक्रियाओं का सेट है जो किसी निश्चित उद्देश्य को पूरा करता है | कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कार्यक्रमों का एक संग्रह है और जो उचित कार्यक्रम और दस्तावेज़ के साथ डेटा को उचित निर्देश देता है |

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को दो समूहों में विभाजित किया गया है जो की निम्न प्रकार है:-

👉 सिस्टम सॉफ्टवेयर

👉 एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

Relationship Between Hardware & Software:-

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के बीच काफी अहम् सम्बन्ध होता है जो एक दूसरे के पूरक होते है | जहाँ हार्डवेयर एक भौतिक एवं छूने योग्य वस्तु है और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का एक समूह जो एक निश्चित प्रतिफल को नियत निर्देशानुसार पूरा करता है |

सॉफ्टवेयर हार्डवेयर पर और हार्डवेयर सॉफ्टवेयर के निर्देशों पर कार्य करता है | सॉफ्टवेयर हार्डवेयर को नियंत्रित करता है और इसे निर्देशित करके कोई भी कार्य कराता है जैसे कोई पेज प्रिंट करना, संगीत सुनना आदि जो ऑपरेटिंग सिस्टम के विशेष फीचर 'कर्नल' से संभव है |

ऑपरेटिंग सिस्टम एक तरह का सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जिसमे कर्नल हार्डवेयर से तथा शेल सॉफ्टवेयर से कम्यूनिकेट करने के लिए इस्तेमाल होता है |

System Software:-

सिस्टम सॉफ्टवेयर - सॉफ्टवेयर का ही एक प्रकार होता है जो कंप्यूटर के हार्डवेयर सम्बन्धी कार्यों को संभालता है जो एक कंप्यूटर सिस्टम में उसकी सूचनाओं और डाटा को निर्देशित एवं नियंत्रित करने में इस्तेमाल होता है |

ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम सॉफ्टवेयर का एक उदाहरण है जो एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को कार्य करने के लिए जरुरी प्लेटफार्म प्रदान करती है | सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम के पेरीफेरल्स डिवाइस को मॉनिटर करने में इस्तेमाल होती है |

सिस्टम सॉफ्टवेयर दो तरह के हो सकते है पहला ऑपरेटिंग सिस्टम और दूसरा यूटिलिटी प्रोग्राम |

1- Operating System Software:-

ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर पर चलने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रोग्राम है | प्रत्येक कंप्यूटर में अन्य एप्लीकेशन प्रोग्राम चलाने के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है |

ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर सिस्टम की आत्मा है जिसके बिना आप कंप्यूटर सिस्टम चलाने की कल्पना भी नहीं कर सकते है | ऑपरेटिंग सिस्टम एक मध्यस्थ की तरह कार्य करता है जो उपयोगकर्ता द्वारा बनाये गए कंप्यूटर हार्डवेयर के निर्देशों की व्यख्या करता है |

एक ऑपरेटिंग सिस्टम में शेल और कर्नेल होते है | शेल ऑपरेटिंग सिस्टम की ऊपरी परत है जो कर्नेल को निर्देश प्राप्त कराता है और यह बताता है कि कर्नेल कंप्यूटर हार्डवेयर को निर्देश भेज रहा है |

शेल एप्लीकेशन के साथ संचार करता है जहाँ कर्नेल हार्डवेयर के साथ संचार करता है | एक ऑपरेटिंग सिस्टम डिस्क पर फाइलों और निर्देशिकाओं का ट्रैक रहता है, और यह परिधीय उपकरणों जैसे इनपुट/आउटपुट डिवाइस, डिस्क ड्राइव या किसी प्लग एंड प्ले डिवाइस को नियंत्रित करता है |

2- Utility Programs:-

यूटिलिटी प्रोग्राम भी एक प्रोग्राम है जो एक विशिस्ट कार्य करता है, आमतौर पर सिस्टम संसाधनों के प्रबंधन से सम्बंधित ऑपरेटिंग सिस्टम में डिस्क ड्राइव, प्रिंटर और अन्य उपकरणों के प्रबंधन के लिए कई उपयोगिताएं होती है |

Application Software:-

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर एक सॉफ्टवेयर पैकेज की तरह होता है जिस पर एक यूजर अपना साधारण कार्य करता है | एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कुछ इस प्रकार होते है वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट, प्रेजेंटेशन, पेंट इत्यादि |

जब आप किसी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर पर कार्य कर रहे होते है तब वहां से दिए गये निर्देश को पहले ऑपरेटिंग सिस्टम से होते हुए प्रोसेसर तक पहुंचाता है और तब जाकर वह एक्सीक्यूट होता है और उसी तरह वापस यूजर को सूचित कर दिया जाता है |

Compiler:-

कम्पाइलर एक यूटिलिटी प्रोग्राम होता है जो सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत आता है | कम्पाइलर किसी हाई लेवल लैंग्वेज को लो लेवल लैंग्वेज यानि मशीन लेवल कोड में परिवर्तित कर देता है जिससे यह आसानी से एक्सीक्यूट हो जाती है |

एक कम्पाइलर का कार्य किसी प्रोग्राम के कोड को मशीन लेवल कोड में परिवर्तित करने के साथ - साथ उस प्रोग्राम से एरर और मिस्टेक्स की भी जाँच करनी होती है |

कम्पाइलर पहले एक प्रोग्राम को पूरी तरह से जाँचता है और कोई एरर या मिस्टेक ना होने की स्थिति में इसे एक्सीक्यूट होने के लिए भेजता है अन्यथा यह आपको इसके एरर और मिस्टेक्स दुरुस्त करने को सूचित करता है | कम्पाइलर का उपयोग C, C++ में होता है |

Interpreter:-

इंटरप्रेटर भी कम्पाइलर की तरह ही हाई लेवल लैंग्वेज को लो लेवल लैंग्वेज में परिवर्तित करता है लेकिन यह कम्पाइलर से थोड़ा भिन्न है और यह किसी प्रोग्राम को लाइन बाई लाइन चेक करता है |

वह लाइन सही होने की स्थिति में उसे एक्सीक्यूट होने के लिए भेज देता है और उसके आगे प्रोग्राम कोड में कहीं गलती होने की स्थिति में सूचित करता है तथा प्रोग्राम के रनिंग मोड को ब्रेक कर देता है | यह 4th जनरेशन लैंग्वेज जैसे विजुअल बेसिक इत्यादि में इस्तेमाल होता है |

Assembler:-

असेम्बलर भी एक तरह का ट्रांसलेटर है लेकिन इसका उपयोग असेम्बली लेवल लैंग्वेज में होता है जो इसके निमोनिक्स और रजिस्टर वेरिएबल को मशीन लेवल कोड में परिवर्तित करता है |

High Level Languages:-

हाई लेवल लैंग्वेज प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को कहते है, जो साधारण अंग्रेजी भाषा में लिखित प्रोग्राम कोड होता है, जो किसी यूजर को प्रोग्रामिंग करने एवं समझने में आसान होता है |

हाई लेवल लैंग्वेज की जरुरत पड़ी क्योंकि मशीन लेवल कोड में किसी भी प्रकार के प्रोग्राम को लिखना या बनाना बहुत कठिन होता है और तब भी उसके प्रोग्राम में गलतियों की बहुत अधिक संभावना रह जाती है |

इन हाई लेवल लैंग्वेज को कम्पाइलर या इंटरप्रेटर की मदद से मशीन लेवल कोड में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है ताकि यह एक्सीक्यूट हो सके | हाई लेवल लैंग्वेज के उदाहरण है - C, C++, Visual Basic, FORTRON, JAVA इत्यादि |

Managing Disk Partitions:-

डिस्क पार्टीशन मैनेज करने का मतलब इसे अपने हिसाब से सुव्यवस्थित करने से है | कंप्यूटर सिस्टम में डिस्क पार्टीशन कई तरीकों से हो सकता है |

पहला ऑपरेटिंग सिस्टम इनस्टॉल करते वक्त डिस्क पार्टीशन को मैनेज कर सकते है तथा विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में कंप्यूटर मैनेजमेंट के डिस्क मैनेजमेंट यूटिलिटी टूल से भी कर सकते है | डिस्क पार्टीशन मैनेजमेंट करने के स्टेप्स निम्न प्रकार है :-

कुछ पूर्व निर्धारित उपयोगिता उपकरण के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम में डिस्क विभाजन को प्रतिबंधित करने के लिए यहाँ कुछ चरण दिए गए है :-

👉 कंप्यूटर आइकन पर राइट क्लिक करें और मैनेज चुने |

👉 जो आगे बढ़ना सुनिश्चित करेगा और पुष्टि करने के बाद, आपको मैनेजमेंट विंडो दिखाई देगी |

👉 फिर बाएं फलक में डिस्क प्रबंधन विकल्प पर क्लिक करें | तो आप सभी डिस्क के स्थान आवंटित या नॉन आवंटित देखेंगें |

👉 निम्न में से कोई एक कार्य करें :-

1- यदि आप नया विभाजन बनाना चाहते है तो असंबंधित स्थान पर राईट क्लिक करें और वॉल्यूम बनायें को चुने, डिस्क के एम० बी० में उस भाग के लिए डिस्क स्थान का उल्लेख करें और अंत में ओके पर क्लिक करें |

2- यदि आप किसी पार्टीशन को हटाना चाहते है, तो एक वॉल्यूम चुनें और गो टो एक्शन >> ऑल टास्क >> वॉल्यूम हटायें या वॉल्यूम पर राईट क्लिक करें और वॉल्यूम हटायें चुनें | आपकी वॉल्यूम डिलीट हो जाएगी |

3- यदि आप ड्राइव के अक्षर या पथ को बदलना चाहते है तो वॉल्यूम और गो टो एक्शन चुनें >> सभी कार्य >> ड्राइव अक्षर और पथ बदलें या वॉल्यूम पर राईट क्लिक करें और ड्राइव लेटर और पथ बदलें चुनें, और फिर विंडोज में चेंज बटन पर क्लिक करें और ड्रॉप डाउन सूची से अक्षर चुनें और ओके पर क्लिक करें |

File System:-

फाइल सिस्टम एक तरह का फाइल और फोल्डर मैनेजमेंट होता है जिसे एक यूजर आसानी से एक्सेस कर सकता है लेकिन कंप्यूटर सिस्टम इन फाइल और फोल्डर को मैनेज करने के लिए दो तरह की फाइल सिस्टम प्रदान करता है |

पहला FAT (फैट) फाइल सिस्टम तथा दूसरा NTFS (एन०टी०एफ०एस०) फाइल सिस्टम जो फाइल को स्थित करने एवं एक्सेस करने का तरीका प्रदान करती है |

FAT:-

फैट फाइल सिस्टम को फाइल एलोकेशन टेबल भी कहा जाता है, जिसमे यह पहले फाइल्स या फोल्डर्स को एक्सेस करने के लिए उनके एड्रेस का एक टेबल बनाती है |

जिसके माध्यम से आप कोई भी फाइल या फोल्डर को एक्सेस कर सकते है | यह फाइल सिस्टम 16 बिट और 32 बिट फाइल को ट्रैक रखती है |

NTFS:-

NTFS को न्यू टेक्नोलॉजी फाइल सिस्टम कहा जाता है जो सर्वप्रथम विंडोज NT3.1 में लांच किया गया था | यह फाइल सिस्टम फाइलों को संगठित कर हार्ड डिस्क की मुक्त जगह को बतौर डिस्क कोटा की तरह आवंटित कर देता है |

What is Multimedia ? :-

मल्टीमीडिया एक माध्यम होता है जो किसी प्रकार की सूचनाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है | इसमें टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनिमेशन, ऑडियो एवं विडियो का प्रयोग कर एक सूचना या प्रदर्शनी तैयार की जाती है |

जो किसी विषय वस्तु के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए, मनोरंजन के लिए, व्यापार प्रचार के लिए इस्तेमाल होता है | आज मल्टीमीडिया किसी भी तरह के सूचना के प्रसारण के लिए प्रस्तुत प्रदर्शनी का मुख्य स्रोत है |

Text:-

टेक्स्ट वो भाग है जो किसी विषय वस्तु के बारे में बताने - समझाने के लिए लिखे गये शब्दों का माध्यम है | कंप्यूटर सिस्टम में टेक्स्ट की फाइलों को (.txt, .rtf) के रूप में लिखी जाती है जिससे हम यह जान पाते है की यह फाइल टेक्स्ट फाइल है |

Graphics:-

ग्राफिक्स भी एक प्रकार का मल्टीमीडिया का भाग है, जो किसी विषय वस्तु के बारे में सूचनाओं को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करने में सहायक होता है |

ये ग्राफिक्स कुछ इस तरह से हो सकते है जैसे कोई डाईग्राम और किसी भी प्रकार का कोई चित्र इत्यादि | कंप्यूटर सिस्टम में ग्राफिक्स फाइलों को हम (.bmp, .gif, .jpg/.jpeg, .png, .tif/.tiff, .dib) के रूप में पहचान पाते है की यह ग्राफिक्स फाइल्स है |

Animation:-

एनीमेशन किसी मल्टीमीडिया फाइल में किसी ऑब्जेक्ट जैसे टेक्स्ट, ग्राफिक्स, इमेज को एक चलचित्र के माध्यम से प्रस्तुत करता है जैसे ये किसी ऑब्जेक्ट को दाहिने या बाएं घुमाने, उड़ते हुए प्रदर्शित करने, एकाएक आने और तुरंत ओझल हो जाने जैसा कार्य कर सकते है |

एनिमेशन को बनाने के लिए नियत निर्देश और जरुरी सामग्री जैसी चीजों की आवश्यकता होती है | एनीमेशन की फाइलों को हम कंप्यूटर सिस्टम में (.ppt) के रूप में पहचान पाते है |

Audio:-

ऑडियो एक साउंड फाइल होती है जो किसी मल्टीमीडिया फाइल में साउंड या म्यूजिक बजाने के काम में आती है |

एक साउंड फाइल स्वतः एक मल्टीमीडिया फाइल होती है जिसे आप सुनने या किसी प्रोजेक्ट में विशेष तौर से प्रस्तुत करने में इस्तेमाल कर सकते है | कंप्यूटर सिस्टम में हम ऑडियो फाइल्स को (.mp3, .mp4, .wav) के रूप में पहचान सकते है |

Images:-

इमेज किसी भी चित्र या फोटो को कहते है जो कोई या किसी भी प्रकार की हो सकती है जैसे किसी व्यक्ति की या वस्तु की इत्यादि, जिसे आप अपनी जरुरत के हिसाब से प्रस्तुत कर सकते है |

Video:-

यह एक चलचित्र होता है जिसमे स्थिर चित्रों के समूह के फ्रेम से तैयार कर प्रस्तुत करते या देख सकते है | ये चलचित्र किसी भी तरह के हो सकते है जैसे कोई रिकॉर्ड किया गया विडियो या किसी फिल्म के गीत का विडियो इत्यादि |

कंप्यूटर सिस्टम में हम विडियो फाइल्स को (.mpg/.mpeg, .avi, .vob, .dat, .mkv, .flv) के रूप में पहचान पाते है |

Multimedia Application In Education:-

मल्टीमीडिया बहुत ही महत्वपूर्ण एवं दिन-प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाला एवं जीवन का एक भाग बन गया है | इसके माध्यम से हम कोई भी विषय को आसानी से सीखते या सिखाते है |

शिक्षा के क्षेत्र में यह काफी महत्वपूर्ण किरदार अदा करता है जैसे किसी विषय को समझाने या बताने के लिए चित्र प्रदर्शनी का प्रयोग करना, नोट्स या चैप्टर की सॉफ्ट कॉपी से पढ़ना या पढ़ाना, इन्टरनेट के माध्यम से ई-लर्न करना इत्यादि |

आज कल लगभग सभी कॉलेज या संस्थान में नोट्स या पढ़ाई सामग्री के सॉफ्ट कॉपी जारी किये जाते है जो किसी प्रेजेंटेशन के रूप में, ई-बुक के रूप में भी हो सकती है |

Multimedia Application In Entertainment:-

मनोरंजन के क्षेत्र में मल्टीमीडिया का प्रमुख किरदार है जहाँ कोई भी मनोरंजक सामग्री जैसे ऑडियो गीत, विडियो गीत को बनाने या उसका लुफ्त लेने दोनों के लिए मल्टीमीडिया का प्रयोग होता है |

हम गाने सुनते है, चलचित्र संगीत देखते एवं सुनते है, गेम खेलते है - ये सभी कार्य मल्टीमीडिया के अंतर्गत आते है |

Multimedia Application In Marketing:-

मार्केटिंग या व्यापार प्रचार इन दोनों में भी मल्टीमीडिया का प्रयोग भरपूर होता है जैसे किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन करने, कोई सेमिनार प्रस्तुत करने या किसी बुकलेट या ब्रौशर के माध्यम से कोई व्यापारिक सूचना देने में इसका प्रयोग होता है |

मल्टीमीडिया प्रोजेक्ट या फाइल को निर्मित करने के लिए विभिन्न फाइल स्रोत की जरुरत होती है या वह फाइल स्वयं में एक मल्टीमीडिया फाइल होती है |

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